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Saturday, May 2, 2009

...आदत .....

इक आदत सी हो गयी है जीतने की.....
....किअब हारना बर्दाश्त नही...
इक आदत सी हो गयी है तुझे देखने की....
......कि तुझे बिन देखे चैन आता नही...
उस भवरें को तो फूलों की आदत है...
...क्या सच में वो ही उसकी असली चाहत है??
उस फूल की आदत है भवरें को प्यार देना ...
....भवरें की आदत बन गया है उस प्यार को निभाते रहना .....
क्यूँ किसी की आदत को आदत बना पाना इतना मुश्किल होता है...
...क्यूँ की इसी से सच्चा इश्क़ ज़ाहिर होता है....
अक्सर चाहत की ये आदत ..आशिक़ का दिल दुखती है..
...जाने अंजाने उसकी याद आ ही जाती है...
अब नादिया की तो आदत है दरिया में समा जाना...
...बे-परस्त बहते जाना ...और कभी ना इतराना .....
आदत किसी को बनाना है अपनी तो ऐसी बनाओ...
....तकलीफ़ ना हो उस से ...और खुद को भी खुश रख पाओ...
अब लिखना आदत सी बन गया है मेरी...
....ताकि दिल से निकाल पाउन ये मुहब्बत तेरी....
अब मेरी आदत को तो तेरी आदत की आदत है...
....क्या तेरी भी मेरी जैसी कोई आदत है...????............साहिल

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