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Tuesday, March 31, 2009

...शिकायत....

शिकायत करूँ मैं कैसे तुझसे....
....गिला अब करूँ मैं कैसे?
तुझको तो मेरे दर्द का एहसास भी नही ....

बस कुछ दूर तक मैं चलता गया....
...सोचा था की शायद तेरा साथ होगा...
पर ना तू थी ना तेरा साया,
....बस था तो..मैं और मेरा साया....

कुछ दूर जाने के बाद सोचा था मैने ,
...अब वापस जाने का वक़्त है....
पर सच्चाई से रूबरू होने के बाद पता चला ,
उस मोड़ से वापस आना मुमकिन ही ना था ....

क्या मुमकिन है, सागर की लहरों का बिल साहिल से मिले लौट आना, ???
....ज़िंदगी में आगे निकलने के बाद ,वापस लौटना बहुत मुश्किल होता है....
क्यूंकी तब तब तक आपके दिल पर...
........आपका नही ..किसी और का राज़ होता है....साहिल