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Sunday, February 22, 2009

intzaar....ab aur nahi ....

इंतज़ार ना करो उसके आने का ...
उसको तो अफ़सोस भी नही तुझसे बिछड़ जाने का ...
मत कराए इंतज़ार इतना कि ....
आप आए और हम खामोश हो जाएँ.....

इस बेदर्द दुनियाँ में हर किसी को इंतज़ार है ....
किसी को कहीं जाने का ...तो किसी को किसी के लौट आने का ...
किसी को कुछ पाने का ..तो किसी को कहीं खो जाने का ...
इंतज़ार ....इंतज़ार...और बस इंतज़ार....

धरती का प्यासा इंतज़ार तो ये ादल पूरा करता है...
इक अरसे की तड़पन को इन बूँदों से भरता है....
इन तितलियों का इंतज़ार तो ये ूल करता है ...
पर उसकी ज़िंदगी का इंतज़ार बस कुछ दिन ही चलता है....

एक छोटा बcचे को जल्दी बड़े होने का इंतज़ार है...
और यहाँ बड़े होकर भी बcचे की रह खेलने का मन करता है ...
......जब भी यहाँ बैठे बैठे उस पहाड़ को देखता हूं ...
तब ख्याल आता है कि...क्या उस हाड़ को भी आसमाँ का इंतज़ार है....?
इंतज़ार.....इंतज़ार...और बस इंतज़ार..............

कभी कभी ये इंतज़ार भी सपना लगत है....
इसको पूरा करना भी एक इंतज़ार लगता है....
अपने सपनो में सभी खोए हैं ऐसे ...
कि सपने में सपना आना भी एक इंतज़ारलागता है.....
इंतज़ार .....इंतज़ार....और बस इंतज़ार......

विपुल(साहिल)

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