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Sunday, February 22, 2009

इक अंजान चेहरा......

हर लम्हा ,हर कतरा तेरा चेहरा नज़र आता है,
वो हर पल मुझे तेरा दीवाना बनाए जाता है ,
तेरी एक मुस्कान हर उलफत में दवा बन जाती है ,
......और ना चाहते हुए भी दिल ही गहराई में समा जाती है....

उसका मुस्कुराना दिल में कई ख्वाब जगाता है,
...अंजाने में ये दिल ना जाने कब उसका होता जाता है....
पहले ही काबू में न था ये दिल मेरा ,
....अब तो हर कदम की आहट तेरी समझ कर मचल जाता है ,

सारे ज़माने में हंगामा हो गया , जो तुझे हमने अपना कह दिया ,
......बिन जाने तेरी रज़ा तुझे अपने दिल में बसा लिया ,
अब ना कहकर मेरी मुहब्बत को बदनाम ना करना ,
.....इक गुल को उजाड़ कर दूसरा गुलिस्ताँ आबाद ना करना ,

क्यूँ किसी से इतनी मुहब्बत करता है ए साहिल,
...की तेरी मुहब्बत ही तेरे लिए उलफत बन जाती है ,
लड़ कर ज़माने से आना चाहे वो पास तेरे ,
....पर ज़माने की सरपरस्ती ही तेरी मुहब्बत की क़ातिल बन जाती है..............साहिल

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